Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Thursday, May 28, 2020

सूर्य

जय श्री गणेश 
सूर्य एक आत्मा कारक गृह है जो ९ लाख मील व्यास का  अग्नि पिंड स्वरूप आकाश में स्थित है, 
यह पृथ्वी से ११० गुना बड़ा है और पृथ्वी हेतु इसकी भावना अपार है पृथ्वी पर जीवन हेतु इसका स्नेह अपार है 
जिसकी अग्नि व् प्रकाश को तो प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया जा सकता है 
पर इसके अनंत गुण जो प्राण व् जीवन दायक है उनपर पहुंचना सहज संभव नहीं 
ब्रह्म संकल्प में यह महाप्राण के रूप में अवतरित है,
जीवन की बाहिरि व् भीतिरी सुव्यवस्था हेतु यह एक सुगम साधन है 
इसके परिवार के नौ ग्रह जीवन की रूप रेखा में सहायक है 
मूलतः यह मानव जीवन में आरोग्य, आयुष, तेज, ओज, बल उत्साह, स्फूर्ति आदि को रूप देता है 
अध्यात्म में यह मानव को त्याग तप श्रद्धा विश्वास दया उपकार प्रेम व् विवेक से विभूषित करता है 
पालन पोषण व् जीवन के दिव्य मूल्यों को प्रकशित करने वाला श्रेष्ट गृह है 
इसकी प्रत्यक्ष उपासना से मानव अपने जीवन को परिपूर्ण कर सकता है 
परमात्मा सभी पर कृपा करे 
कृपया धन्यवाद