Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Thursday, May 28, 2020

धन

जय श्री गणेश 
धनहीन व्यक्ति का जीवन भौतिक जगत में किसी शाप से काम नहीं,
पर आवश्यकता से अधिक धन भी जीव को मानव जीवन की मूल सत्य से अलग कर देता है 
अत्यधिक धन अहंकार तो  देता ही है जीवन को व्यसन युक्त करने में अहम् भूमिका निभाता है 
यह दोनों ही तत्व जीव को पाप के मार्ग पर ले जाने की और अग्रसर करते है 
मानव को यह मूल सत्य समझना पड़ेगा कि 
धन से योग्यता का मूल्य अधिक है 
योग्यता से स्वाभाव का मूल्य अधिक है 
निर्मल स्वभाव मानव को विशुद्ध गति प्रधान  है 
परमात्मा सभी पर कृपा करे 
कृपया धन्यवाद