Thursday, May 28, 2020
जीवन यात्रा
जय श्री गणेश
यह जीवन यात्रा मानव के लिये किसी कठिन कार्य के कही अधिक कठिन है
बालवस्था की अपनी कठिनता है पर यहाँ आशा परम सहायक है
युवावस्था की कठिन परिस्तिथि में जीव मार्ग दर्शन हेतु कठिनता का अनुभव करता है
प्रौढ़ावस्था में स्वयं को पाने की कठिनता एक जटिल समस्या है
वृद्धावस्था में कठिन शारीरिक सत्य जीवन यापन हेतु शाप से काम नहीं
इन सभी अवस्थाओं में शत्रु घात अकारण कठिनाई के रूप में प्रगट होता है,
भीतरी शत्रु रोग कारक होते है और बाहिरी शत्रु जीवन को अकारण अप्रत्यक्ष कठिनाई में डाल देते है
जीवन में ज्यादातर शत्रु अपनों में से ही होते है जिन्हे समय पर पहचान पाना कठिन होता है
तबपर भी मानव को आशावान होना चाहिए
स्वयं से ज्यादा परमात्मा पर विश्वास होना चाहिए
परमात्मा सभी पर कृपा करे
कृपया धन्यवाद