Sat Guru

Sat Guru
Bhagwan Shiv

Sunday, May 24, 2020

परिकल्पना

जय श्री गणेश, 
सुख की परिकल्पना ही सुख है 
इससे अलग कही कोई सुख नहीं 
पर सुख के साधन अवश्य है 
जिसमे पुनः सुख की खोज जारी रहती है 
सुख मूलतः मन की एक गति में कही निहित रहता है. 
उस गति को पाने के बाद सुख हेतु किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती,
परमात्मा सभी पर कृपा करे 
कृपया धन्यवाद