Friday, August 12, 2011
मन
अविनाशी मन इन्द्रियों के मोह वश माया पाश से बंधा रहता है, यही माया पाश आत्मा के जीवन मरण चक्रव्यू का कारण भूत है यही मन जो इन्द्रियों के वशीभूत हो कर भाव पाश से बंधता है यदि शिव संकल्प कारी हो जाए तो भव पाश से मुक्ति का कारण बनता है
मन मूलत ह्रदय के दाई ओर अपनी सत्ता संभाले रहता है जबकि बाई ओर आत्मा का केंद्र बिंदु प्रत्यक्ष रूप से प्रकाशित रहता है अप्रत्यक्ष माया वेग इस मन को इन्द्रियों से बंधता है यदि माया वेग यही सत्य रूपेण हो जाय तो मन को अन्तेर्मुखी कर परिपूर्ण शिव-संकल्पकारी बनाता है
मन का शिव संकल्प्कारी होना ही परम सिद्धि का सूचक है सावन माह में शिव पूजा मन के कल्याण हेतु परम सहायक सिद्ध होती है
परमात्मा सभी पर अपनी दया दृष्टि बनाये
कृपया धन्यवाद
मन मूलत ह्रदय के दाई ओर अपनी सत्ता संभाले रहता है जबकि बाई ओर आत्मा का केंद्र बिंदु प्रत्यक्ष रूप से प्रकाशित रहता है अप्रत्यक्ष माया वेग इस मन को इन्द्रियों से बंधता है यदि माया वेग यही सत्य रूपेण हो जाय तो मन को अन्तेर्मुखी कर परिपूर्ण शिव-संकल्पकारी बनाता है
मन का शिव संकल्प्कारी होना ही परम सिद्धि का सूचक है सावन माह में शिव पूजा मन के कल्याण हेतु परम सहायक सिद्ध होती है
परमात्मा सभी पर अपनी दया दृष्टि बनाये
कृपया धन्यवाद