Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Sunday, August 7, 2011

महान संत श्री तुलसी दास जी

श्री श्रावन मास की महिमा अपार है भगवान् शिव के चरणों की भक्ति हेतु यह परम साधन है श्री श्रावन मासमें शिव भक्ति से अनन्त पहल की प्राप्ति होती है श्री श्रावन मास में शिव भक्ति का रंग आत्मा के स्वरुप को सवारता है

इसी परम पवन माह में एक दिव्या संत कवि ने अपनी जीवन लीला का आरंभ व् समापन किया. महान संत तुलसी दास जी का जन्म संवत १५५४ की श्रावन शुक्ल सप्तमी के दिन हुलसी नाम की माता से हुआ पर उनका पालन पोषण स्वयं माँ पारवती ने एक ब्रह्मणि वेश धारण कर किया.

संवत १५६१ में उनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ, स्वामी नरहरी द्वारा गुरु मंत्र उन्हें राम भक्ति के शिखर पर ले गया

संमत १५८३ ज्येष्ठा शुक्ल प्रदोष को उनका विवाह भरद्वाज परिवार की एक कन्या से हुआ

अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत से दिव्य ऋषि मुनियों के दर्शन किये-भगवान् श्री राम के प्रतक्ष्य दर्शन का लाभ भी पाया

परम पावन ग्रन्थ श्री रामचरित मानस की रचना कर मानव कल्याण हेतु परम सेतु प्रगट किया, उनकी ३० से अधिक रचनाओ में भक्ति के मूल तत्व समाये है जो जीव के परम कल्याण हेतु सुगम साधन है

सम्पूर्ण जीवन राम भक्ति के मार्ग पर चलते हुए संत तुलसी दास जी अपना स्थूल शरीर पवन पावन मास श्रावन में कृष्ण तृतीय के दिन श्री राम का करते हुए त्याग दिया

महान संत श्री तुलसी दास जी के श्री चरणों में बारम्बार नतमस्तक हो कर प्रणाम करता हू

परमात्मा सभी पर अपनी असीम कृपा बनाए

कृपया धन्यवाद