Sat Guru

Sat Guru
Bhagwan Shiv

Wednesday, October 8, 2008

सिद्धिदात्री

देवी भगवती दुर्गा का नवम् रूप सिद्धिदात्री है और वह आदि शक्ति सिद्धि रूपेण जिनकी चार भुजाएं परम शोभनीय हैं श्री माँ का आसन कमल है दाहिने और नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाई ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है यही देवी भगवती दुर्गा का स्वरूप है, इस स्वरूप की ही भक्त आराधना करते हैं और आराधना से मन की मुरादे पाते है बड़ा ही करुना मयी स्वभाव है श्री माँ का भगतो पर सदा ही दया बरसाती है श्री माँ के चरणों में बारम्बार प्रणाम





कंचनाभा शंखचक्रगदामधरामुकुटोज्वलां

स्मेरमुखीशिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते

पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां

नलिनस्थितांपलिनाक्षीं सिद्धिदात्री नमोअस्तुते

परमानंदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा

परमशक्ति,परमभक्त सिद्धिदात्री नमोअस्तुते

भुक्तिमुक्तिकारणी भक्तकष्ट निवारिणी

भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते

धर्माथकामप्रदायिनी महामोह विनाशिनी

मोक्षदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते

Today is concluding day of Sri Navratras Puja with prayer of sri sri Siddhi Datri ji. Great in all respect compassionate in nature and kind all the way for devotees and true heart on the subject of life.

Those adore the lotus feet of divine basil are bound to attain the wishful boon for a true life here and even better for here after.

I make my obeisances to the lotus feet of divine mother Sri Sri Siddhi Datri ji.

May lord bless all.

Thanks please.