Sat Guru

Sat Guru
Bhagwan Shiv

Thursday, October 2, 2008

चन्द्रघण्टा

आज तीसरे दिन नवरात्रि के समय भगवती देवी दुर्गा की तीसरी मूर्ति अतार्थ स्वरुप चन्द्रघण्टा के के रूप मै पूजी जाती है आज के दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन किया जाता है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र विराज होने से इन्हें चन्द्रघण्टादेवी कहा जाता है। इनके शरीर की आभा स्वर्ण के समान अद्रितीय है। इनके दस हाथ भगतो को अभय देने हेतु परिपूर्णता शुशोभित है हैं। इनके दसों हाथों में बाण त्रिशूल गधा तलवार कमल तीर कमंडल धनुष माला और अभय मुद्रा विभूषित है वाहन सिंह व युद्ध मुद्रा के लिए उद्धत रहने वाली श्री माँ - घण्टे सी भयानक चण्डध्वनि से अत्याचारी को भय भीत करती है.

आपदुद्वारिणी स्वंहिआघाशक्ति शुभा पराम्

मणिमादिसिदिधदात्री चन्द्रघण्टेप्रणभाम्यहम्

चन्द्रमुखीइष्टदात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्

धनदात्रीआनंददात्री चन्द्रघण्टेप्रणमाम्यहम

नानारूपधारिणी इच्छामयीऐश्वर्यदायनीम्

सौभाग्यारोग्यदायनी चन्द्रघण्टेप्रणमाम्यहम

साधक का सब प्रकार से कल्याण करने वाली श्री माँ के चरणों में बारम्बार प्रणाम

Today is third day of enlighten days of sri Navratras which is known for the glory of divine mother sri sri Chandraganta. Her name reflects on the merits of the moon the cool and caring one but associate with a bell to make demons alert of their malefic acts on the subject of life. Enlighten with glorious golden mode around which speaks the true pace their in for devotees.

Ten hands for welfare of devotees, pious soul and saints.

Divine mother reflects the entire cool to the devotees and bless them to have true life as human and writes glory in their fate for here after.

Those adore the lotus feet of divine mother with thoughts words and deeds always remains be blessed from the lotus feet of Sri Mother.

Those take refuge in her compassionate mode felt themselves through from the cycle of birth and rebirth.

May divine mother bless all.

Thanks please.