Sat Guru

Sat Guru
Bhagwan Shiv

Sunday, June 3, 2018

रे मन

जय श्री गणेश
रे मन
जो भी वस्तु या परिस्तिथि तुझे परमात्मा से अलग करे उसे पूर्णता नकार दे

जो भी सोच मन को दूषित करे उसे तभी त्याग दे

जो कार्य भागवत  तत्व से दूर करे उससे स्वयं को बचा

जो स्तिथि तुझे भागवत प्रेम से दूर ले जाये उससे सचेत रहना

भागवत प्रेम व् शाश्वत जीवन एक दूसरे के पूरक है

भीतर के सुख को सजो के रखना यह परमात्मा के सामीप्य का कारण व् कारक हो सकता है

इस जीवन यात्रा में दुःख व् कठिनाई तो अवश्य ही आएगी पर स्वयं को स्वयं ही संभालना

परमातम तत्व की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर रहना

श्री परमात्मा की कृपा सभी को प्राप्त हो

आभार धन्यवाद