Saturday, April 9, 2011
श्री माँ कात्यानी
आज का परम पवन दिन श्री माँ कात्यानी की उपासना के नाम से जाना जाता है पूर्व काल में माँ कत नमक ऋषि के पुत्र कात्यायन की अपार भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रगट हुई इसी कारन श्री माँ को कत्यानी के नाम से जाना गया, महिषासुर मर्दिनी माँ कात्यानी सदेव ही दीन हीन व् सत्य निष्ठ प्राणियों की रक्षा करती है श्री माँ परम फल दायनी व् मोक्ष सुख कारिणी है.
व्रज मंडल में श्री माँ का अपना प्रभाव है वहा कृष्ण भक्तो के सभी मनोरथ पूर्ण करती है श्री माँ का श्री वृन्दावन में भव्य मंदिर है जो श्री रंग नाथ जी के मंदिर के साथ सुशोभित है श्री माँ की महिमा अपरंपार, आज के दिन भक्त श्री माँ की उपासना कर मन की परिपूर्ण गति को प्राप्त करते है जो जीव के कल्याण की परिपूर्ण सीमा है. श्री माँ कात्यानी के श्री चरणों में पुनः पुनः नमन
श्री माँ चंडिका देवी के चरणों में बारम्बार प्रणाम ॐ नमः शिवाय
Today is another most auspicious occasion of Sri Chaitra Navratrey, the day for worship of mother Katyani, bestower of wishes and giver of liberation.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, the bestower of wishes and remover of pain; obeisance to you mother.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, who is holy and perform agreeable roles, wipes away sin and dispel ignorance through the recital and hearing of her glory; obeisance to you mother.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, ever given to charity, servents, devotees and true benefactors of pious one; obeisance to you mother.
May lord bless all.
Thanks please
व्रज मंडल में श्री माँ का अपना प्रभाव है वहा कृष्ण भक्तो के सभी मनोरथ पूर्ण करती है श्री माँ का श्री वृन्दावन में भव्य मंदिर है जो श्री रंग नाथ जी के मंदिर के साथ सुशोभित है श्री माँ की महिमा अपरंपार, आज के दिन भक्त श्री माँ की उपासना कर मन की परिपूर्ण गति को प्राप्त करते है जो जीव के कल्याण की परिपूर्ण सीमा है. श्री माँ कात्यानी के श्री चरणों में पुनः पुनः नमन
श्री माँ चंडिका देवी के चरणों में बारम्बार प्रणाम ॐ नमः शिवाय
Today is another most auspicious occasion of Sri Chaitra Navratrey, the day for worship of mother Katyani, bestower of wishes and giver of liberation.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, the bestower of wishes and remover of pain; obeisance to you mother.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, who is holy and perform agreeable roles, wipes away sin and dispel ignorance through the recital and hearing of her glory; obeisance to you mother.
I greet divine mother on the auspicious occasion of Chaitra Navratrey, ever given to charity, servents, devotees and true benefactors of pious one; obeisance to you mother.
May lord bless all.
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