Friday, April 8, 2011
श्री श्री माँ स्कन्दमाता
आज परम पावन श्री चैत्र नवरात्री का पंचम दिवस जो श्री श्री माँ स्कन्दमाता की पूजा के रूप में जाना जाता है, स्कन्द अतार्थ स्वामी कार्तिकेय- इस दिन की पूजा से भक्त का मन विशुद्ध विक्ग्रह में प्रवेश करता है जहा वह श्री श्री माँ का का परम दुलार प्राप्त कर अपने निज स्वरुप का दर्शन करता है करुणा की मूर्ति है श्री माँ स्कन्द माता जो सदेव ही वरदायिनी मुद्रा में वास करती है और भक्तो के सांसारिक दुखो का शमन करती है माँ स्कंदमाता को पद्मासना देवी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वह परम योग की दाती है
साधक इस दिन अपनी सभी वृतियो का निग्रह कर माँ चरणों में मन लगा कर स्वयं को माँ के परम सामीप्य का अनुभव करते है माँ की कृपा कृपा से भक्त अपने समस्त वृतियो पर सहज ही अंकुश पा कर स्वयं को माया के बंधन से मुक्त पाते है करुनामय माँ इस दिन विशेष रूप से भक्तो पर दया बरसाती है.
माँ के श्री चरणों में पुनः पुनः प्रणाम
श्री श्री माता चंडी देवी के चरणों में प्रणाम ॐ नमः शिवाय
I reverence you divine mother, who is fond of her devotees, compassionate and gentle of deposition, delighting the sages, saints and the pious one along with devotees; I adore your lotus feet
I reverence you divine mother, who is possessed of an exquisitely beautiful worthy form that awards peace and bliss to devotees with fair heart; I adore your lotus feet
I reverence you divine mother, who is most gracious by nature, embodiment of pure consciousness, crush the host of demons, and destroy all evil; I adore your lotus feet
May lord bless all.
Thanks please
साधक इस दिन अपनी सभी वृतियो का निग्रह कर माँ चरणों में मन लगा कर स्वयं को माँ के परम सामीप्य का अनुभव करते है माँ की कृपा कृपा से भक्त अपने समस्त वृतियो पर सहज ही अंकुश पा कर स्वयं को माया के बंधन से मुक्त पाते है करुनामय माँ इस दिन विशेष रूप से भक्तो पर दया बरसाती है.
माँ के श्री चरणों में पुनः पुनः प्रणाम
श्री श्री माता चंडी देवी के चरणों में प्रणाम ॐ नमः शिवाय
I reverence you divine mother, who is fond of her devotees, compassionate and gentle of deposition, delighting the sages, saints and the pious one along with devotees; I adore your lotus feet
I reverence you divine mother, who is possessed of an exquisitely beautiful worthy form that awards peace and bliss to devotees with fair heart; I adore your lotus feet
I reverence you divine mother, who is most gracious by nature, embodiment of pure consciousness, crush the host of demons, and destroy all evil; I adore your lotus feet
May lord bless all.
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