मन की गति से ही जीव अपने जीवन के मार्ग पर चलता है
मन की गति से ही मानव अपने संकल्प से युक्त हो जीवन की रूप रेखा से जुड़ता है
मन की गति में मानव के पुरुषार्थ का सत्य निहित रहता है
मन शिव संकल्पो से युक्त रहे इसी कारण ऋषि मुनि सत्य को ही जीवन का सार बना लेते है
संकल्प मन का धर्म तो है ही और कर्म भी है
आत्मा व् इच्छा एक स्थिति के दो रूप है
संकल्प के साथ ही इच्छा का समावेश है
इच्छा संकल्प की जननी है और सत्य युक्त इच्छा स्वतः ही शिव संकल्प युक्त हो जाती है
यह मन सदा ही शिव संकल्प से युक्त हो सिद्धि का कारण बने
सभी को शिव कृपा प्राप्त हो
शिवोहम शिवोहम शिवोहम