Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Sunday, August 15, 2021

श्री तुलसीदास जी

 जदपि नाथ बहु अवगुन मोरें सेवक प्रभुहि परै जनि भोरें

नाथ जीव तव मायाँ मोहा सो निस्तरइ तुम्हारेहिं छोहा