वेद वाणी
ऋग्वेद -जिसके भीतर समस्त भूत निहित है जिससे सब कुछ प्रवृत होता है जिसे परमतत्व कहा जाता है वह एक रूद्र रूप है
यजुर्वेद -जिसे वेद प्रमाणित करते है जो इश्वर सम्पूर्ण यज्ञो तथा योगो से भजन किया जाता है जो सभी का द्रष्टा है वह एक शिव है
सामवेद-जो सभी संसारी जानो का कारण करनाये है जिसे योगी जन योग से पाने का प्रयास करते है जिससे संसार प्रकाशित होता है वह त्रियम्बक भगवान् शिव है
अथर्ववेद-जिसका भक्ति से साक्षात्कार होता है जो सुख-दुखातीत है अनादि ब्रह्म हैवह एक भगवान् शिव है