Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Thursday, March 11, 2021

कह मुनि पाप मिटिहिं किमि मेरे

 कह मुनि पाप मिटिहिं किमि मेरे

जपहु जाइ संकर सत नामा
होइहि हृदयँ तुरंत बिश्रामा
कोउ नहिं सिव समान प्रिय मोरें
असि परतीति तजहु जनि भोरें
जेहि पर कृपा न करहिं पुरारी
सो न पाव मुनि भगति हमारी
अस उर धरि महि बिचरहु जाई
अब न तुम्हहि माया निअराई