Sat Guru

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Bhagwan Shiv

Thursday, March 11, 2021

मन

 मन

मन ही जीवन को जीने  की अहम् भावना का नाम है मन की कोई भोतिक सत्ता नहीं पर यह भोतिक सत्ता को पाने का परम हेतु है
मन का वास ह्रदय आकाश में
मन के पूर्व में प्रकाशमय आत्मा का वास होता है
मन के उत्तर में चित्त 
की सत्ता
वस्तुत आत्म बिंदु मन व् चित्त के मद्य स्थित होता है
चित चेतन का केंद्र व् 
मन संसारिक प्रकाश का मूल
चित सन्देश वाहक है आत्मा व् मन के मद्य
मन बाहिरी  तत्व से जुड़ा होता है आत्मा भितरी सत्य से
चित के मध्यम से दोनों एक हो कर कर्म को गति देते है
मन बाहिरी तत्वों का चित्त वृतियो द्वारा आत्मा को सन्देश पहुचता 
है आत्मा के आदेश पर इन्द्रियों को कर्म हेतु प्रेरित करता है 
मन की  गति अंनत है नियमित गति ही मन की शुद्धता की सूचक  है सत्य मय मन इन्द्रियों को सही दिशा दे कर जीव को ब्रह्म से मिलाने का सामर्थ रखता है
मन की शुद्धि सत्य मय जीवन की अहम् बात है
जीविका  व् अन्न मन को सर्वाधिक प्रभावित करते  है
मन प्रतिस्थित मस्तिष्क  नहीं
मन में ही बुद्धि अधिष्ठित होती है

संकल्प का उदगम स्थान मन है 
मस्तिष्क  नहीं
मन कभी जीर्ण नहीं होता-मन अजर है
 
संकल्प मन की अद्रितीय शक्ति है